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इस्तीफा देते हैं, लेकिन मंजूर नहीं होता

राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के उपसंचालक का इस्तीफा कभी नहीं होता मंजूर
दूसरे विभाग में नौकरी के बाद लौटने पर पुराने पद पर ही हो जाती है ज्वाइनिंग


ब्यूरो, भोपाल।
 

इस्तीफा देते हैं, लेकिन मंजूर नहीं होता
क्या ऐसा संभव है कि कोई अधिकारी अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर चला जाए और कुछ सालों बाद वापस पुराने पद पर ही ज्वाइनिंग देकर फिर से नौकरी शुरु कर दे? और ऐसा एक बार नहीं, बल्कि कई बार हो?
जी हां, राज्य एड्स नियंत्रयण सोसायटी (एमपी सैक) में बीते कई सालों से ऐसा ही हो रहा है। एमपी सैक में उपसंचालक, आईसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) के पद पर कार्यरत प्रशांत मलैया की वापसी इसका प्रमाण है। गौरतलब होगा कि मलैया 2011 में यूनीसेफ में सलाहकार बनकर चले गए थे, इसके लिए उन्होंने सैक की सेवाओं से इस्तीफा भी दिया था। इसके बावजूद इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और साल बीतने के बाद फिर से मलैया पुराने पद पर लौट आए हैं। इससे पूर्व भी मलैया ने कई बार इस्तीफा दिया है। इस दौरान मलैया एक एनजीओ में भी काम कर चुके हैं। इसके बावजूद मलैया का इस्तीफा एमपी सैक ने कभी मंजूर नहीं किया, जिसके नतीजे में हर बार मलैया वापस अपने मूल पद पर आ जाते हैं। एमपी सैक में मलैया की शुरुआत 1999 में संविदा आधार पर सहायक संचालक के पद से हुई। इसके बाद 2007-08 में उपसंचालक बने और फिर 2011 में यूनीसेफ के सलाहकार बनकर चले गए थे। 


अतिरिक्त एजेंडा से निर्णय
मप्र राज्य एड्स नियंत्रण समिति की कार्यकारिणी समिति की बैठक 30 अगस्त,2012 के एजेंडा में अतिरिक्त एजेंडा क्रमांक-2 के जरिए प्रशांत मलैया के सालभर पहले दिए गए इस्तीफे को वापस लेने की अनुमति दी गई। इसी के साथ एड्स नियंत्रण समिति में कार्य करने की अनुमति भी प्रदान कर दी गई। इस बैठक में रवींद्र पस्तौर, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं, एम गीता, परियोजना निदेशक एमनी सैक, डॉ. एससी तिवारी, संचालक चिकित्सा शिक्षा, डॉ. केके ठस्सू, अपर संचालक, परियोजना, डॉ. पीएनएस चौहान, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. एसके मालवीय, संचालक, कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं, बीबी भारद्वाज, उपसचिव, वित्त, ओपी शर्मा, अपर संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र और डॉ. अशोक शर्मा, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं थे। 


नियम दरकिनार
राज्य एड्स नियंत्रण समिति (एमपी सैक) और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के दिशा निर्देशों में किसी भी हालत में किसी के लिए भी पद आरक्षित रखने का प्रावधान नहीं है। नई नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला जाकर चयन होगा। समिति में संविदा नियुक्ति होती हैं और कोई इस्तीफा देकर या अन्य कारणों से पद से मुक्त होकर चला जाए तो दोबारा उसी मूल पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती, नए सिरे से चयन की प्रक्रिया होगी। 


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इस प्रकरण को क्रास चेक करवाएंगे। नियमत: नियुक्तियों के लिए विज्ञापन देकर सर्वोत्तम अभ्यर्थी का चयन किया जाना चाहिए। पहले एमपी सैक में काम करने के बाद भी कया हो, लेकिन खाली पद पर नियुक्ति होनी है तो निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
-श्रीमती सूरज डामोर, सचिव, स्वास्थ्य

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