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टिकरिया उप स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में सांस लेना दूभर


उप स्वास्थ्य केन्द्र के सामने पड़े हैं पशुओं के कंकाल
बीते दो माह से केन्द्र का नहीं खुला ताला

अरुण सिंह, पन्ना
जिले के ग्रामीण अंचलों में संचालित उप स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत अत्यधिक दयनीय और चिन्ताजनक बनी हुई है. इन केन्द्रों से ग्रामीणों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवायेंं मिल पाना आज भी महज एक सपना है. ज्यादातर केन्द्र कागजों पर चल रहे हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है. पवई - शाहनगर मुख्य मार्ग पर स्थित टिकरिया उप स्वास्थ्य केन्द्र तो भीषण गंदगी का अड्डा बन चुका है, यहां परिसर में मृत पशुओं के कंकाल पड़े हैं फलस्वरूप यहां सांस लेना तक दूभर हो गया है.

टिकरिया स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र में लगा ताला
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पन्ना जिले की स्थिति बेहद चिन्ताजनक है. विगत कुछ वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से चौपट हैं. जिले के नवागत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. जी.पी. सिंह ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाये भी हैं, लेकिन ग्रामीण अंचलों में अभी उसका असर दिखाई नहीं देता. पटरी से उतर चुकी व्यवस्थाओं को पुन: पटरी पर लाने के लिए स्वास्थ्य महकमें में बड़ी सर्जरी की जरूरत है, इसमें सीएमएचओ कितना सफल होते हैं यह आने वाला वक्त बतायेगा. लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए तो यही प्रतीत होता है कि पन्ना जिले के लोग पूरी तरह से भगवान भरोसे हैं. बीमार पडऩे की स्थिति में उन्हें यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित जिला अस्पताल में भी समुचित चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी, इसकी संभावना क्षीण हो चुकी है. मजबूर होकर लोगों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है.

टिकरिया स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में पड़े मृत मवेशी के कंकाल
पवई तहसील मुख्यालय के निकट मुख्य सडक़ मार्ग पर स्थित टिकरिया ग्राम के उप स्वास्थ्य केन्द्र की हालत देखकर तो यही लगता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षित सुधार की कल्पना अभी एक सपना है. समाज सेवियों व पत्रकारों का एक दल विगत 12 अक्टूबर को अपरान्ह जब इस गांव में पहुंचा तो उप स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लटका हुआ था. स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में चारो तरफ झाड़ झंखाड़ व गंदगी पटी पड़ी है. इतना ही नहीं केन्द्र के ठीक सामने मृत मवेशियों के कंकाल जहां - तहां बिखरे पड़े हैं, जिनसे भीषण दुर्गन्ध उठ रही है. दुर्गन्ध का आलम यह है कि परिसर में दो क्षण खड़े रहना तक मुश्किल होता है. चूंकि स्वास्थ्य केन्द्र का ताला राष्ट्रीय पर्व आदि अवसरों पर ही खुलता है, इसलिए गांव के लोग इस परिसर का उपयोग शौच क्रिया से निवृत्त होने के लिए करने लगे हैं. यहां हर तरफ फैली गंदगी को देखकर यही प्रतीत होता है कि इस केन्द्र से लोगों को स्वास्थ्य सुविधा तो नहीं बल्कि गंदगी से उपजने वाली बीमारियां जरूर मिल रही हैं.

ग्रामवासियों से जब उप स्वास्थ्य केन्द्र के संबंध में चर्चा की गई तो अधिकांश लोगों ने यहां के बारे में कोई जानकारी होने से अनभिज्ञता जताई. गांव की महिला गुलाब बाई विश्वकर्मा ने बताया कि इस अस्पताल में ताला लगा रहता है, यहां से दवाई वगैरह कुछ नहीं मिलती. टीकाकरण के संबंध में बताया कि गांव की जिन महिलाओं व बच्चों को टीका लगवाना होता है वे आंगनवाड़ी केन्द्र में जाकर लगवाते हैं. गांव के ही सुदामा यादव ने बताया कि ज्यादा कुछ उन्हें नहीं पता लेकिन यह मालुम है कि गांव में दो सिस्टर हैं जो अपने घर में रहती हैं. बीमार पडऩे की स्थिति में गांव के लोग इलाज कराने कहां जाते हैं, यह पूंछे जाने पर ग्रामीणों ने बताया कि पवई या फिर पन्ना इलाज कराने जाते हैं.

केन्द्र खुलता तो क्यों रहती गंदगी
टिकरिया उप स्वास्थ्य केन्द्र के ठीक सामने निवास करने वाले विदुर प्रसाद प्रजापति ने पत्रकारों को बताया कि 15 अगस्त को उप स्वास्थ्य केन्द्र खुला था, उसके बाद फिर यहां के चैनल का ताला नहीं खुला. श्री प्रजापति ने सवाल किया कि साहब आप लोग खुद सोचें कि यदि उप स्वास्थ्य केन्द्र नियमित रूप से खुलता होता तो यहां पर मवेशियों की हड्डियां व गंदगी भला क्यों होती ? जब भवन का ताला ही नहीं खुलता और कोई रहता नहीं है तो गांव के लोग परिसर में शौच करते हैं तथा मवेशी मरे पड़े हैं.


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