झारखंड की सियासत में एक बार फिर से उठापटक के आसार
दीपक उपाध्याय, दुमका.
झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन एक बार फिर से अपने पुराने रंग में लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। सोरेन ने अपने कड़े तेवर कड़ करते हुए कहा है कि सत्ता भोगने के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ किए गए करार की पहली मियाद बीतने वाली है, ऐसे में अब सत्ता सुख भोगने की बारी झामुमो की है। सोरेन ने सत्ता के सहयोगी दल भाजपा से दो टूक कह दिया है कि, सिंहासन खाली करो झामुमो कि बारी है. दूसरी ओर, भाजपा ने तात्कालिक प्रतिक्रिया जताने के बजाय माहौल को भांपने में जुट गई है।
संथाल परगना क्षेत्र के भ्रमण के दौरान मंगलवार को देर शाम दुमका पहुंचे शिबू सोरेन के अंदाज आक्रामक थे. मीडिया से बातचीत के दौरान सोरेन ने अपनी आदत के मुताबिक कुछ नहीं छुपाया और दो टूक कहा कि भाजपा के साथ 28-28 महीने का सरकार चलाने का जो समझौता हुआ था, उसे अब अमलीजामा पहनाने का समय आ गया है. भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ हुए समझौते के तहत नवम्बर,2012 में झामुमो सरकार बनाने की अपनी दावेदारी पेश करेगी. हालांकि उन्होंने गुंजाइश बरकरार रखते हुए सीधे तौर पर कहा कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं है, लेकिन सरकार उनकी पार्टी की ही बननी है. सोरेन ने इसके साथ ही धमकाने वाले अंदाज में यह भी कहा कि अगर भाजपा सरकार बनाने में बाधक बनती है तो झामुमो इसपर गंभीरतापूर्वक सोचेगी.
भाजपा ने चुप्पी साधी
सोरेन का बयान आने के बाद भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने चुप्पी साध रखी है। जानकारों का कहना है कि, भाजपा अभी माहौल को भांप रही है। वैसे सोरेन को लेकर भाजपा के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि, जब-जब सोरेन को कोई मांग मनवानी होती है, तब-तब वह ऐसा ही धमकाने वाला बयान देते हैं। ऐसे में सोरेन के सुर के असली निहितार्थ ढूंढे जा रहे हैं।