Type Here to Get Search Results !

एमपी भवन में वीवीआईपी कक्ष ईयर मार्क घोषित

ठहरने के किराये में भी वृध्दि की गई, 11 साल बाद बदले नियम

डॉ. नवीन जोशी, भोपाल। 

एमपी भवनप्रदेश की शिवराज सरकार ने नई दिल्ली स्थित एमपी भवन में अतिथियों के ठहरने के नियम 11 साल बदल दिये हैं। अब जहां वीवीआईपी यानी राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के कक्ष ईयर मार्क कर दिये गये हैं वहां किराये की दरों में भी वृध्दि कर दी गई है।
अविभाजित मप्र के समय नई दिल्ली में एमपी भवन के साथ मध्यावर्त भवन भी था तथा इसमें ठहरने हेतु वर्ष 1997 में राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने ''''मप्र भवन तथा मध्यावर्त अधिवास नियम’’ बनाये थे लेकिन वर्ष 2000 में नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर मध्यावर्त भवन छत्तीसगढ़ राज्य को आवंटित कर दिया गया। इसके बाद नई दिल्ली में मध्यांचल भवन नामक नया आवास-गृह बन गया है। इसलिये अब मप्र सरकार ने पुराने नियमों को खत्म कर नये नियम ''''मप्र भवन तथा मध्यांचल अधिवास नियम,2012’’ बनाकर लागू किये हैं तथा इन नये नियमों को अधिसूचित कर दिया गया।
नये नियमों में नया प्रावधान यह किया गया है कि अब एक व्यक्ति को उसके परिवार के सदस्यों सहित केवल एक कक्ष ही आवंटित किया जायेगा। इसी प्रकार, अब केन्द्र शासन या दिल्ली प्रशासन में मप्र से स्थानान्तरित या प्रतिनियुक्ति पर गये सरकारी अधिकारियों को कक्ष उपलब्ध होने पर उक्त दोनों भवनों में दिल्ली प्रशासन से आवास मिलने तक ठहरने की पात्रता होगी, लेकिन इस दौरान उनसे वही किराया लिया जायेगा जो उन्हें दिल्ली प्रशासन से आवंटित आवास का देना होता। उक्त भवनों में पहले उपलब्ध कराई गई पीसीओ-एसटीडी की सुविधा का प्रावधान अब खत्म कर दिया गया है। 

महपौर को विधायक के बराबर दर्जा :
नये नियमों में राज्य के 14 नगर निगमों को उक्त भवनों में ठहरने की पात्रता अग्रता सूची के क्रमांक नौ में विधायकों के बराबर कर दी गई है। पहले उनका नम्बर अग्रता क्रमांक सोलह पर जिला पंचायत अध्यक्षों के साथ उनके बाद था। इसी प्रकार, अग्रता क्रमांक दस में उल्लेखित मुख्य सचिव के साथ मप्र व्यापम के अध्यक्ष, मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष और डीजी सुशासन एवं नीति विश£ेषण स्कूल को भी स्थान दिया गया है। अग्रता क्रमांक 6 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और लोकायुक्त के अलावा राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को नये पद के रुप में स्थान दिया गया है। 

ठहरने की अवधि में हुआ बदलाव :
पहले प्रावधान था कि मप्र के पूर्व राज्यपाल, पूर्व सीएम और अन्य प्रदेशों के पूर्व राज्यपाल जोकि मप्र के मूल निवासी हों, को एक कैलेण्डर माह में तीन दिन के लिये नि:शुल्क ठहरने की पात्रता थी परन्तु अब नया प्रावधान किया गया है कि उक्त व्यक्तियों को एक कैलेण्डर वर्ष में कुल 30 दिन नि:शुल्क ठहरने की पात्रता होगी। राज्य के पूर्व सांसदों एवं पूर्व विधायकों को पहले एक माह में तीन दिन निर्धारित रियायती किराये पर ठहरने की सुविधा थी परन्तु अब उन्हें एक कैलेण्डर वर्ष में 15 दिन निर्धारित रियायती किराये पर ही ठहरने की सुविधा होगी।

अब यह रहेगा किराया :
अब नये नियमों के अनुसार, मप्र भवन के एक श्रेणी कक्षों में ठहरने का किराया एक हजार रुपये प्रतिदिन के स्थान पर पन्द्रह सौ रुपये प्रतिदिन होगा। इसी प्रकार अब दोनों भवनों के बी श्रेणी के कक्षों में ठहरने का किराया 800 रुपये प्रतिदिन होगा जो पहले 400 रु. प्रतिदिन था। सी श्रेणी कक्षों का किराया 400 रुपये प्रतिदिन होगा जोकि पहले भी यही था जबकि डी श्रेणी यानी डोरमेट्री का किराया 200 रुपये प्रतिदिन होगा जो पहले सौ रु. रोजाना था।
उक्त दोनों भवनों में चार नये स्थानों का भी नया किराया निर्धारित किया गया है। अब कालीदास बहुउद्देश्यीय कक्ष का किराया एस हजार रुपये, शाकुन्तलम यानी फोयर क्षेत्र का 10 हजार रुपये, मेघदूत जोकि मप्र भवन में एक छोटा समिति कक्ष है का 5 हजार रुपये तथा मधुवन ओपन क्षेत्र का 10 हजार रुपये प्रतिदिन किराया होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.