नहीं है आग बुझाने के मुकम्मल इंतजाम
फायर सर्विसेस की जिम्मेदारी नहीं संभाली
ब्यूरो, भोपाल
पहले बीएसएनएल बिल्डिंग और फिर भेल में लगी आग के बाद भी शासन ने कोई सबक नहीं लिया है। अग्निशमन सेवाओं की जिम्मेदारी अभी भी पूरी तरह से नगरीय प्रशासन को नहीं सौंपी जा सकी हैं। गौरतलब होगा कि, वर्ष 2010 में
कैबिनेट ने फायर सर्विसेस को नगरीय प्रशासन विभाग को सौंपे जाने के संबंध में प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन अभी नियम विरुद्ध पुलिस का फायर सर्विसेस पर कब्जा बना हुआ है।
आग बुझाने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों और नगरीय प्रशासन विभाग को सौंपी जा चुकी है। इस आशय का स्पष्टीकरण भी गृह विभाग की ओर से हाईकोर्ट में पेश हो चुका है। इसके बाद भी फायर सर्विसेस को अपनी जिम्मेदारी बताते
हुए पुलिस महकमा इसे छोड़ने को तैयार नहीं है। इससे फायर सर्विसेस अभी तक पूरी तरह से नगरीय प्रशासन विभाग के अधीन नहीं आ सकी हैं। इसी के नतीजे में फायर एक्ट बनने और अमले की भर्ती करने के साथ ही तकनीकी सलाह पर संसाधन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसके बाद भी नगरीय प्रशासन विभाग अभी तक फायर सर्विसेस की जिम्मेदारी नहीं संभाल पाया है। इसके नतीजे में भेल में आग के दौरान करोड़ों के नुकसान हुआ। अगर तकनीकी विशेषज्ञ नगरीय
प्रशासन विभाग के पास होता तो कारखानों और ऊंची बिल्डिंगों की नियमित जांच करके अग्निशमन के मापदंड पूरे करवाता। इससे आग लगने पर बचाव आसान और तीव्र गति से होता, जिससे नुकसान की गुंजाइश न्यूनतम हो जाती। हालांकि, भेल में आग लगने के दौरान संसाधनों की कमी का ठीकरा भेल प्रशासन पर फोड़ा गया, जबकि अग्निशमन की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन के तहत स्थानीय निकाय यानि नगर निगम की ही बनती है। नगरनिगम अग्निशमन कर वसूलता है, ऐसे में समुचित संसाधन, वाहन, फायर फाइटर, फोम और टेÑंड अमला रखने की जिम्मेदारी भी निगम की ही है।
ट्रेन्ड अमले की कमी
प्रदेश की नगर निगमों के पास टेंÑड अमले की कमी बनी हुई है। फायरमैन का डिप्लोमा करने वाले प्रभारी फायर अधिकारी हैं तो दूसरी ओर ट्रेंड फायरमैन अपना काम छोड़कर बाबूगिरी करने में जुटे हैं। ऐसे 18 फायरमैन हैं, जो आग
बुझाने के बजाय सुरक्षाकर्मी, बाबूगिरी और जोन या वार्ड में सालों से जमे हैं। इनकी फायरअमले में वापसी के निर्देश महापौर ने दिए थे, लेकिन एक भी कर्मचारी की वापसी नहीं हो सकी है।
भेल में लगी आग से भी नहीं लिया सबक
अक्टूबर 18, 2012
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