आईसीटीयू में अध्ययन करेंगे कमजोर छात्र
अक्टूबर 20, 2012
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विद्यालय में नहीं लगाई जा रही निदात्मक कक्षायें
पन्ना
जिले के अधिकांश शासकीय स्कूलों की चरमराई व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए सहायक संचालक ने प्रत्येक विद्यालय के प्राचार्य को आईसीटीयू केन्द्र बनाने की सलाह दी है। इस आईसीटीयू केन्द्र बी एवं ई ग्रेड के बच्चे को समय के अतिरिक्त शिक्षा देकर ए, बी एवं सी ग्रेड में लाने का सकारात्मक प्रयास किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि पन्ना के प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल व हायरसेकेण्डरी स्कूलों का शैक्षणिक स्तर अंत्यंत दयनीय है. इस व्यवस्था को सुधारने के लिए त्रैमासिक परीक्षा के परिणाम आने के पश्चात प्रत्येक विद्यालय के प्राचार्य को कमजोर वर्ग अर्थात डी एवं ए ग्रेड के बच्चों को छांटने के लिए कहा गया है. तथा फिर उन बच्चों को आईसीटीयू (शिशु गहन शिक्षा ईकाई) केन्द्र में भर्ती कराया जायेगा. इस आईसीटीयू केन्द्र में बच्चे की शिक्षा पर हर शिक्षक अपने - अपने तरीके से उनको पढ़ाकर गंभीर स्थिति अर्थात लाल खतरे के निशान से बाहर किया जायेगा. इस आईसीटीयू केन्द्र में भर्ती बच्चों पर उनके अभिभावकों एवं अधिकारियों की भी विशेष नजर रहेगी. स्कूलों में एक कक्ष बाहर बड़े - बड़े अक्षरों में आईसीटीयू कक्ष लिखा जायेगा. सहायक संचालक अंजनी त्रिपाठी ने बताया कि विद्यालयों में आईसीटीयू केन्द्र बनाने का प्रयोग पन्ना में पहला प्रयोग हैं. जिसे सतना जिले में आईसीटीयू केन्द्र का प्रयोग किया जा चुका है. यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है. इससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी सुधरा है. तथा निदात्मक कक्षाओं का ही एक रूप है. इस केन्द्र को आकर्षक बनाने का प्रयास होगा.
आईसीटीयू में छात्रों को लगेगा आक्सीजन
विद्यालय में आईसीटीयू केन्द्र में भर्ती छात्र को आक्सीजन देकर स्वस्थ्य करने का प्रयास किया जावेगा. आक्सीजन से आशय है. सरल, सहज एवं मनोरंजनात्मक शिक्षा जिससे छात्रों की पढ़ाई में बेहद रूचि बढ़े और वह छात्र स्वयं भी पढऩे का प्रयास करें. आईसीटीयू वार्ड में भर्ती छात्रों के अभिभावकों से भी चर्चा कर घरों में शिक्षा को लेकर ध्यान रखे जाने की चर्चा की जावेगी.
नवम्बर से स्कूलों में शुरू होंगे आईसीटीयू केन्द्र
इस आईसीटीयू केन्द्र को एक नवम्बर से प्रत्येक विद्यालय में संचालित किया जावेगा. जिससे आईसीटीयू केन्द्र में भर्ती छात्र की बीमारी का इलाज समय पर हो सके. यदि समय पर इलाज नहीं मिला तो मार्च की वार्षिक परीक्षा में मृत्यु हो सकती है. मृत्यु से आशय मौत नहीं बल्कि इस छात्र का फेल होना माना गया है.
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